सन्देश देश बदलना है, तो शिक्षा को बदलो अतुल कोठारी राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास शिक्षा बचाओ आंदोलन दिनांक 2 जुलाई 2014 को ‘‘शिक्षा बचाओ आन्दोलन’’ की शुरूआत की गई थी। यह एक सफल आन्दोलन प्रस्थापित हुआ है। अभी तक जिला न्यायालयों से लेकर उच्चतम न्यायालय तक के 10 निर्णय अपने पक्ष में आये है। इसके अतिरिक्त अनेक पुस्तकों की विकृतियों को सुधार कराने में सफलता प्राप्त की जा चुकी है। शिक्षा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से अपने देश की संस्कृति, धर्म, परम्परा एवं भाषाओं को अपमानित करने का राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो षड्यंत्र चलाया जा रहा है, उनको बेनकाब करने के यशस्वी प्रयास किए जा रहे है।
इसी प्रकार दिनांक 24 मई 2007 को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया। गठन के बाद एक वर्ष तक देश भर में शिक्षाविदों, शैक्षिक संगठनों के एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद तय किया गया कि न्यास का उद्देश्य देश की शिक्षा में एक नया विकल्प देने का कार्य हो। वर्ष 2009 से इस पर ठोस कार्य शुरू किया गया। वर्ष 2007 में केन्द्र सरकार के द्वारा देश के विद्यालयों में ‘यौन शिक्षा’’ लागू करने का प्रयास किया गया था। इसका अनेक शैक्षिक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया था। शिक्षा बचाओ आन्दोलन ने इन सबके साथ मिलकर देश भर में आन्दोलन खड़ा किया। इसके परिणामस्वरूप केन्द्र सरकार को इसको रोकना पड़ा। उस समय यह भी चर्चा उठी की इसका विकल्प क्या है? न्यास के द्वारा फरवरी 2009 में पुणे में इस हेतु एक दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित किया गया। इस परिसंवाद के सुझावों को क्रियान्वित करने हेतु एक समिति गठित की गई। समिति ने निश्चित कार्य छः मास में पूर्ण करके ‘‘चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व के विकास’’ पर नया पाठ्यक्रम बनाया। जिसको देश के कुछ विद्यालयों में लागू भी किया जा रहा है। न्यास के द्वारा इस प्रकार कुल छः आधारभूत विषयों पर कार्य किया जा रहा हैं।
देश के कुछ प्रमुख शिक्षाविदों के साथ मिलकर पिछले छः मास से मंथन किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप यह विचार किया गया कि देश की शिक्षा को नये विकल्प हेतु एक गैर सरकारी शिक्षा आयोग का गठन किया जाए। स्वतंत्र भारत में शिक्षा में सुधार हेतु राधाकृष्ण आयोग, कोठारी आयोग से लेकर अनेक आयोग, समितियां, टास्क फोर्स बने। कुछ अच्छे सुझाव भी आये। परन्तु इन सब सुझावों का धरातल पर क्रियान्वयन नहीं किया गया। इस हेतु गैर सरकारी स्तर पर इस प्रयास को प्रारम्भ करने के लिए ‘’भारतीय शिक्षा नीति आयोग’’ का गठन किया जा रहा है। इस आयोग के द्वारा शिक्षा पर देशव्यापी बहस खड़ी करके शिक्षाविदों, शिक्षको, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अभिभावको एवं छात्रों सभी से सुझाव लेकर तीन वर्ष के दरम्यान देश के सामने एक वैकल्पिक शिक्षा नीति का प्रारूप प्रस्तुत करना। इस माध्यम से शिक्षा पर देश में एक वैचारिक आन्दोलन भी खड़ा हो सकेगा।
हमारा मानना है कि शिक्षा मात्र सरकार का विषय नहीं है। समाज के हर नागरिक की इसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका अपेक्षित है। इस हेतु ‘‘शिक्षा उत्थान’’ के सुधी पाठको से विनम्र निवेदन है कि शिक्षा में सुधार/परिवर्तन एवं नये विकल्प हेतु किए जा रहे प्रयासों में आप भी अपना अमूल्य योगदान प्रदान करें।